दत्त जयंती पूजन - Datta Jayanti Pujan

धर्म ग्रंथानुसार मार्गशीर्ष पौर्णिमा या दिवशी भगवान दत्तात्रयचा जन्म झाला होता. श्रीदत्तात्रयांचे स्वरूप त्रिगुणात्मक त्रिमूर्ती असलेले ब्रह्मा-विष्णू-महेश अशा स्वरूपाचे आहे. सत्त्व, रज आणि तम हे त्रिगुण, तसेच या गुणांचे प्रतीक म्हणजे त्रिमूर्ती दत्त होत. निर्मिती-पालन-संहार हे त्यांचे कार्य होय. देव आणि मुनिवर त्यांचे ध्यान करतात. दत्ताची उपासना तीन प्रकारे करता येते. गायत्री मंत्र वा गुरुमंत्राचे स्मरण, श्री गुरुचरित्र ग्रंथाचे पारायण सेवेतून ही उपासना होते.
सामुग्री: | ||
गणपती | हळकुंड 05 नग | पळी 01 नग |
शंख | खडीसाखर 20 ग्रॅम | भांडे ( पंचपात्री ) 01 नग |
घंटी | सुके खोबरे 02 नग | स्टिलची ताटे 02 नग |
हळद 25 ग्रॅम | गुळ 250 ग्रॅम | समई 01 नग |
कुंकू 25 ग्रॅम | पंचखाद्य 50 ग्रॅम | निरांजन ( तेलाचे व तुपाचे ) प्रत्येकी 01 नग |
गुलाल 25 ग्रॅम | नारळ 04 नग | पंचामृत 01 वाटी |
अभिर 25 ग्रॅम | तांदुळ 02 किलो | नैवेद्य पेढे पाव किलो |
अष्टगंध 25 ग्रॅम | द्रोण 25 नग | |
चंदन पावडर 25 ग्रॅम | पंचे 01 नग | |
रांगोळी 250 ग्रॅम | ब्लाऊज पिस 02 नग | |
गोमुत्र 01 बाटली | विविध प्रकारची सुवासीक फुले ½ किलो | |
सुतगुंडी | बेल पत्र 20 नग | |
पंचरंगी धागा 01 नग | तुळस 01 जुडी | |
अत्तर 01 बाटली | दुर्वा 02 जुडी | |
जानवी जोड 02 जोड | फुलांचे हार 01 नग | |
धुप 50 ग्रॅम | आंब्याचे डहाळे 02 नग | |
माचिस 01 नग | गजरे 02 नग | |
कापुर 20 ग्रॅम | वेण्या 01 नग | |
तेल वाती 01 नग | विड्याची पाने 40 नग | |
तुप वाती 01 नग | फळे 05 नग ( 01 संच ) | |
तिळाचे तेल ½ लिटर | केळी 06 नग | |
गुलाब पाणी 01 बाटली | गाईचे तुप 100 ग्रॅम | |
गंगाजळ 01 बाटली | मध 01 बाटली | |
अगरबत्ती 01 पुडा | चौरंग 01 नग | |
मोठ्या सुपार्या 20 नग | पाट 01 नग | |
बदाम 05 नग | आसने 03 नग | |
खारिक 05 नग | ताम्ह्न 03 नग | |
अक्रोड 05 नग | तांब्याचे तांबे 02 नग |
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